वरदान या अभिशाप फोन
फोन रखना सबकी सबब है बनी
इसके बिन जीना लगता असाभ्य
सारी देश , दुनिया की खबर है देती
दिखने में छोटी,पर होती बड़ उपयोगी ।
इस फोन में सब कुछ है अच्छी, बुरी
फोन आपको सब कुछ बना सकता
आपकी सोच ही आपको है बनाती…
नौकर से मालिक, मालिक से नौकर
लोग फोन में आज इतने हुए हैं व्यस्त
कि बड़े बुजुर्गों से बात करने का न वक्त…
बस अपने आप फोन के संग रहते हैं मस्त
आज अंधे की लाठी जैसी बन चूंकि भव में ।
फोन के आने से बदली हुई है दुनिया
ऐसा लगता फोन न चला रहा मनुष्य
बल्कि फोन ही चला रहा इन्हें है आज
फोन की दुनिया में उलझी बहु जिंदगियां ।
लोग फोन से पढ़ के बन रहे है करोड़पति
कई बड़े से बड़े आज हुए अधिकारी अनेक..
कई तो फोन के कारण ही हो जाते है बर्बाद
इसे वरदान या अभिशाप क्या मानते हैं आप ?
कई व्यक्तियों की होती है यह ताकत
कई नर, मनुजों की होती यह कमजोरी
आपकी ताकत या कमजोरी है यह फोन ?
बस हमारे मत की सोच पे ही करती है निर्भर ।
लेखक:- अमरेश कुमार वर्मा