Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Jun 2021 · 1 min read

व्यंग्य

बारिश के मौसम में जैसे मेढ़क करते टर्र-टर्र।
वैसे ही कुछ कवियों को लगता वो हो गए चर-फर।।
रचनाओं में ना कोई रस ना भावनाओं का समंदर।
पढ़ लिया तो जैसे लगता खा लिया चुकुंदर।।
स्वरचित एवं मौलिक।
____________
लेखन में उत्कृष्टता लाने का प्रयास करें।
ना की कुछ भी लिख कर लोगों का समय बर्बाद करें।

Language: Hindi
7 Likes · 7 Comments · 776 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सुनीलानंद महंत
प्रकाश पर्व
प्रकाश पर्व
Shashi kala vyas
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सीता के बूंदे
सीता के बूंदे
Shashi Mahajan
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
समीक्षा ,कर्त्तव्य-बोध (कहानी संग्रह)
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
Rituraj shivem verma
भगवता
भगवता
Mahender Singh
प्यार के काबिल बनाया जाएगा।
प्यार के काबिल बनाया जाएगा।
Neelam Sharma
हुनर का ग़र समंदर है..!
हुनर का ग़र समंदर है..!
पंकज परिंदा
"अचरज"
Dr. Kishan tandon kranti
|| तेवरी ||
|| तेवरी ||
कवि रमेशराज
तहक़ीर
तहक़ीर
Shyam Sundar Subramanian
षड्यंत्रों वाली मंशा पर वार हुआ है पहली बार।
षड्यंत्रों वाली मंशा पर वार हुआ है पहली बार।
*प्रणय*
शून्य ही सत्य
शून्य ही सत्य
Kanchan verma
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
मौर ढलल
मौर ढलल
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
हम बदल गये
हम बदल गये
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
जा रहा हु...
जा रहा हु...
Ranjeet kumar patre
निबंध
निबंध
Dhirendra Singh
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
In today's digital age, cybersecurity has become a critical
bandi tharun
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
అతి బలవంత హనుమంత
అతి బలవంత హనుమంత
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दोस्तों
दोस्तों
Sunil Maheshwari
मैं गर ठहर ही गया,
मैं गर ठहर ही गया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
4810.*पूर्णिका*
4810.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
इसलिए कठिनाईयों का खल मुझे न छल रहा।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
क्या लिखते हो ?
क्या लिखते हो ?
Atul "Krishn"
बात निकलेगी
बात निकलेगी
Dr fauzia Naseem shad
*पृथ्वी दिवस*
*पृथ्वी दिवस*
Madhu Shah
Loading...