वबा
रोज़ ब रोज़ लोग मर रहे हैं
कुछ वबा से, कुछ भूख से
कुछ सपनो के मर जाने से
और कुछ उन बंदिशों से
जो तुमने लाद रखे है उनपर
की लोग बेगैरत होने से बेहतर
मर जाना पसंद करते हैं
क्या खटखटाया है कोई दरवाज़ा
और बिना दिखावे
दे दिया कुछ राशन?
या बिना भीड़ इक्क्ठा किए
बांटा कुछ राहत का सामान?
तस्वीर न ली हो,
और राशन दे दिया हो?
या उन अबाबिलो की तरह
तिनके तिनके से
बना दिया हो किसी का घर
पर तुम तो वो भी नहीं
इंसान जो ठहरे।