दुखों की कहूँ, दास्ताँ कैसे कैसे
दुखों की कहूँ, दास्ताँ कैसे कैसे
वबा खा गई, नौजवाँ कैसे कैसे
कहाँ खो गए, भीड़ में छोड़ तन्हा
क़ज़ा ले चली, आसमाँ कैसे कैसे
तसव्वुर से बाहिर, न निकले कभी हम
थे शामिल यहाँ, दो जहाँ कैसे कैसे
सितमगर ने ढाए हैं, मुझपे सितम यूँ
बताएँ तुम्हें क्या, कहाँ कैसे कैसे
न पूछो ग़मों की, कहानी है लम्बी
हसीं हादसे थे, यहाँ कैसे कैसे
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