वफा सिखा रहे हो।
मुद्दतों बाद मिले हो तुम हमसे तो चाहत दिखा रहे हो।
चंद अल्फाज़ कहकर तुम झूठी मुहब्बत जता रहे हो।।1।।
हम जानते है तुम्हारी दिल की ये सब अय्यारियां।
तुम मीठी मीठी बातों से सिर्फ़ हमको बहला रहे हो।।2।।
हमारे वकार पर तुम झूठ की तोहमत लगा रहे हो।
खुद बेवफाई करके तुम हमको वफा सिखा रहे हो।।3।।
जब टूटेगा उसका भरम तो वो भी टूट जायेगा।
तुम गरीब की आंखों को झूठे ख़्वाब दिखा रहे हो।।4।।
कुछ ख्वाहिशें इस दिल की ख्वाहिशें ही रहती हैं।
तसव्वुर की जिन्दगी को तुम हकीकत बता रहे हो।।5।।
खूब जानते हो कि तुम्हारी खातिर हम कुछ भी सहेंगें।
इसीलिए तुम हम पर झूठे सब इल्ज़ाम लगा रहे हो।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ