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24 Oct 2017 · 1 min read

वफ़ा करना, न कर पाओ तो’ मत आना

छंद- सिंधु
मापनी- 1222 1222 1222

चले जाना अभी आए अभी जाना.
तुम्‍हे जी भर के’ भी देखा नहीं जाना*.

जरा ढलने तो’ दो दिन चाँद उगने दो,
ज़माना जान जाएगा ये’ अफ़साना.

नहीं छुप-छुप के’ मिलना प्‍यार होता है
मगर देता ज़माना कब है’ परवाना*.

दिवानों की यही आफ़त है’ दुनिया में,
बहुत मुश्किल खुशी के संग जी पाना.

बदलता चाँद अपनी रोज़ फ़ि‍तरत है,
वफ़ा करना, न कर पाओ तो’ मत आना.

*जाना- प्रिये, प्रेमी, *परवाना- इजाजत
‘मात्रा पतन.

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