वन को मत काटो
वन को मत काटो ,
अपने निजी स्वार्थ मे,
वसुंधरा का एक हिस्सा है,
प्रणियों के जीवन का किस्सा है।
वन देते है फल–फूल और औषधियाँ,
जीव-जंतुओ का होता है घर,
जीव विविधता का वन है क्षेत्र,
रखता है जीवन संतुलन।
वन से होते मानसून का परिवर्तन,
इसका दोहन नहीं है उत्तम,
सोच समझ का करो शहरीकरण,
औद्योगिकरण को दो उचित स्थान ।
वन काटने से होती धरती बंजर,
भूस्खलन की आती है नौबत,
मिट्टी का कटाव न नहीं रुकता,
वायु भी दूषित होती जाती है।
आज अभी से प्रण है लेना,
वन को काटने से है रोकना,
वन सुरक्षित जन जीवन सुरक्षित,
वन से अपनी धरा खुशहाल।,
वसुंधरा का एक हिस्सा है,
प्रणियों के जीवन का किस्सा है।
वन देते है फल फूल और औषधि,
जीव जंतुओ का होता है घर,
जीव विविधता का वन है क्षेत्र,
रखता है जीवन संतुलन।
वन से होते मानसून का परिवर्तन,
इनका दोहन नहीं है उत्तम,
सोच समझ का करो शहरीकरण,
औद्योगिकरण को दो उचित स्थान ।
वन काटने से होती धरती बंजर,
भूस्खलन की आती है नौबत,
मिट्टी का कटाव नही रुकता,
वायु भी दूषित होती जाती है।
आज अभी से प्रण है लेना,
वन को कटने से है रोकना,
वन सुरक्षित जन–जीवन धन सुरक्षित,
वन से अपनी धरा खुशहाल।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।