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22 Feb 2024 · 1 min read

वनमाली

वनमाली —-

चलो आज फिर वक्त बुलाता
अरमानों के अंजुम में खुद को
खोज रहा वनमाली सावन के
मैखाने में।।

दोस्त मोहब्बत रिश्ते नाते
यादों के आईने में
लम्हे गुजरे सदियां गुजरी
चाहत के पैमाने में ।।

चलो आज फिर वक्त बुलाता
अरमानों के अंजुम में खुद को
खोज रहा वनमाली सावन के
मैखाने में।।

कभी कारवाँ का माँझी दुनियां कि
उम्मीदों का आज अकेला खोया खोया
अनजानी राहों में
ना कोई हलचल ना कोलाहल
उड़ते रंग गुलालों में।।

चलो आज फिर वक्त बुलाता
अरमानों के अंजुम में खुद को
खोज रहा वनमाली सावन के
मैखाने में।।

चला जा रहा अपनी धुन में
गिरता उठता राहों में
सड़के सुनी गालियां सुनी
खिलते चमन बहारों में ।।

चलो आज फिर वक्त बुलाता
अरमानों के अंजुम में खुद को
खोज रहा वनमाली सावन के
मैखाने में।।

दोस्त मोहब्बत रिश्ते नाते
अपने अपने मकशद के
हुस्न हकीकत और मोहब्बत
बिकते अब बाजारों में।।

चलो आज फिर वक्त बुलाता
अरमानों के अंजुम में खुद को
खोज रहा वनमाली सावन के
मैखाने में।।

Language: Hindi
Tag: गीत
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Books from नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
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