वतन के काम आओगे
ग़ज़ल
वतन के काम आओगे
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करोगे काम जैसा,
फल उसी का आप पाओगे |
लगाकर नीम उससे ,
आम तुम हरगिज़ न खाओगे ||
न तेरे लाल सुख देंगे ,
तुझे तेरी बुढ़ौती में ,
अगर तुम आज निज ,
माता पिता का दिल दुखाओगे |
बीहड़ हो काम तेरा ,
मगर है वह रुक नहीं सकता,
अगर दिल खोलकर तुम भी,
जनों के काम आओगे |
पहनकर संत का चोला
पियोगे डूब कर पानी ,
पकड़ में आ गए जिस दिन
उसी दिन डूब जाओगे |
जनो के हृदय में अवधू ,
रहोगे देवता बनकर ,
अगर आजाद बिस्मिल सा ,
वतन के काम आओगे ||
अवध किशोर अवधू
ग्राम – बरवाँ (रकबा राजा)
पोस्ट – लक्ष्मीपुर बाबू
जनपद – कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
पि.न.-274407
मो.न.-9918854285