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18 Aug 2018 · 1 min read

वतनपरस्तों तुझे सलाम

वतनपरस्तों तुझे सलाम
***********************
वतनपरस्ती में दम निकले,
सोचते हैं सिपाही।
इनकी गाथा रुधिर से लिखूँ,
रक्त बनेगी स्याही।

वतन के खातिर मर मिटते है,
सीने पे खा गोली।
राष्ट्र सलामत उत्सव इनका,
दीपोत्सव या होली।।

वतन की खातिर जां लुटादें,
शान समझते लाले।
भेद – भाव न किसी से करते,
गोरे हों या काले।।

पहले भी तो शीश कटाया,
मिली हमें आजादी।
हँसते – हँसते फाँसी लटके,
जैसे की हो शादी।।

उनका वंदन चलो करें हम,
बने पुण्य का भागी।
इनके पथ में नत्मस्तक हो,
बने रहें बड़भागी।।

सदा तिरंगा लह लह लहरे,
बस इनके ही कारण।
‘सचिन’ नमन करता है इनको,
घर जिसका चम्पारण।।
*******
✍✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार

Language: Hindi
2 Likes · 317 Views
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