Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2017 · 3 min read

वट सावित्री पूजन….

वट सावित्री…
समाज की परिपाटी भी क्या खूब है हम आप मिलकर एक नये समूह का निर्माण करते हैं समूह से समुदाय समुदाय से संस्था और एक संस्था से खूबसूरत समाज की परिकल्पना की जा सकती है जब समाज का निर्माण होता है तो उसे सुचारु रूप से एक सूत्र में पिरोने के लिए कुछ नियम,कानून,कायदे बनते हैं और उस समाज में रहने वाले व्यक्ति आजीवन उन नियमों, रीति-रिवाजों का पालन करते हैं!
समाज स्त्री और पुरुष दोनों के संयोजन से बना है स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं एक के अभाव में दूसरे की महज कल्पना भी करना आसान नहीं है! बात जब स्त्रियों की होती है सामाजिक परिप्रेक्ष्य में तो सबसे ज्यादा नियम, कानून, कायदे उनके लिए ही बने है ऐसा नहीं कि पुरुषों के लिए नहीं लेकिन स्त्रियों की तुलना में कम! बात जब उपवास की होती है तो स्त्रियाँ सबसे ज्यादा उपवास रखती हैं ऐसा प्राय:देखने को मिलता है कोई भी प्रार्थना अगर ईश्वर से करनी हैं तो बिना उपवास के नहीं!शायद स्त्रियों की सहनशक्ति अधिक है ऐसा प्रतीत होता है फिर चाहे दु:ख हो या भूख! ईश्वर को खुश करने का सबसे उत्तम तरीका उपवास फिर चाहे पति की दीर्घायु की कामना हो या बेटे को लिए लम्बी उम्र! आज सुबह ही सुबह चाय पीने के लिए जैसे ही रुम से निकले मुश्किल से 50 मीटर दूर ही गये होंगे कि देखा एक वृक्ष के नीचे औरतों की भीड़ लगी है प्राय:हर रोज वहाँ जानवर बँधे रहते थे पर आज नये परिधानों में औरतें?? आखिर!माजरा क्या हो सकता है थोड़ा आगे जब बढ़े तो फेरे लेते देखा वृक्ष के साथ तब सहसा मुझे याद आया आज तो वट-सावित्री पूजन है जो स्त्रियाँ अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए करती हैं!मम्मी भी पापा के लिए सदैव यह व्रत रखती थी और वह तो सिद्ध भी कर गयी पापा की लम्बी उम्र की हमेशा कामना करते हुए हम सबको अकेला छोड़ गयीं शायद अपनी उम्र का बड़ा हिस्सा पापा को दे गयीं! अचानक मन में तो आया कि एक तस्वीर लेते चले पर आज हम अपना सेलफोन रुम पर ही छोड़ आये थे खैर फिर हम आगे बढ़ गये दुकान पहुँचे नाश्ता और चाय पैक कराया वापस रुम पर आने लगे तो देखा पूजन कर स्त्रियाँ लौट रही हैं! लेकिन एक फर्क मैंने देखा अपने यहाँ की संस्कृति और यहाँ की (मध्य प्रदेश) की संस्कृति में ! पूजन की कुछ विधियाँ तो वैसे ही थी लेकिन काफी कुछ अलग! यहाँ पर फल में आम को बड़ी मान्यता दी गयी चढ़ाने में लेकिन हमारे प्रदेश में खरबूजे का महत्व है और विशेष यही फल है इसदिन यह खरबूजा 300रुपये तक बिकता है जो प्राय:20 या 25 रुपये पसेरी बिकता है पर इस पर्व पर विशेष होने के कारण इसके मूल्य में वृद्धि हो जाती है! और यहाँ पर ना आटे के मीठे बरगद दिखे ना प्रसाद वाली पूरियाँ! यहाँ का विधि-विधान कुछ अलग सा दिखा! हर जगह की सभ्यता,संस्कृति और रीति-रिवाज में फर्क होता है कोई किस तरीके से तो कोई किसी दूसरे तरीके से करता है लेकिन उद्देश्य सबका एक ही होता है!
आज बड़े सबेरे ही मेरे मकान मालिक की दुकान खुल गयी तो वही हम सोच रहे थे ऐसे तो ये सब घोड़े बेचकर सोते हैं आज बात क्या है? बाहर जाने पर पता चला कि वट सावित्री का पूजन है जिससे पूजन सामग्री की आवश्यकता तो रहती है अधिकतर शाम को ही सारा इन्तजाम कर लिया जाता है फिर भी यदि कुछ छूट जाता है तो सबेरे दुकान से लेने में सहजता रहती हैं.. सुहागिनों के लिए बहुत ही पवित्र व्रत है आज हर सुहागिन स्त्री अपने सुहाग के लिए अखण्ड सौभाग्य की कामना करती हैं और बरगद पूजन के जरिये अपनी प्रार्थना ईश्वर तक पहुँचाना चाहती हैं बरगद की भी लाटरी लग जाती है एक दिन के लिए वो ना जाने कितने सुहागिनों के पति बनने की जिम्मेदारी निभाता है! सभी सौभाग्यकांक्षिणी स्त्रियों को वट सावित्री पूजन की हार्दिक शुभकामनाएँ… आपसौभाग्यवती होंवे…. ईश्वर आपकी इच्छाओं की पूर्ति करे…
.
शालिनी साहू
ऊँचाहार, रायबरेली(उ0प्र0)

Language: Hindi
Tag: लेख
286 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*** सफ़र जिंदगी के....!!! ***
*** सफ़र जिंदगी के....!!! ***
VEDANTA PATEL
हमें
हमें
sushil sarna
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
सिनेमा,मोबाइल और फैशन और बोल्ड हॉट तस्वीरों के प्रभाव से आज
Rj Anand Prajapati
🙅इस साल🙅
🙅इस साल🙅
*Author प्रणय प्रभात*
कोई भी इतना व्यस्त नहीं होता कि उसके पास वह सब करने के लिए प
कोई भी इतना व्यस्त नहीं होता कि उसके पास वह सब करने के लिए प
पूर्वार्थ
ख़त पहुंचे भगतसिंह को
ख़त पहुंचे भगतसिंह को
Shekhar Chandra Mitra
बिटिया की जन्मकथा / मुसाफ़िर बैठा
बिटिया की जन्मकथा / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
वो चिट्ठियां
वो चिट्ठियां
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
"उपबन्ध"
Dr. Kishan tandon kranti
गुरुवर
गुरुवर
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
हर चेहरा है खूबसूरत
हर चेहरा है खूबसूरत
Surinder blackpen
वहाॅं कभी मत जाईये
वहाॅं कभी मत जाईये
Paras Nath Jha
23/29.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/29.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
किस हक से जिंदा हुई
किस हक से जिंदा हुई
कवि दीपक बवेजा
सुनो . . जाना
सुनो . . जाना
shabina. Naaz
दया के पावन भाव से
दया के पावन भाव से
Dr fauzia Naseem shad
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
बस अणु भर मैं बस एक अणु भर
Atul "Krishn"
Being an ICSE aspirant
Being an ICSE aspirant
Sukoon
// तुम सदा खुश रहो //
// तुम सदा खुश रहो //
Shivkumar barman
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
डॉ. नामवर सिंह की आलोचना के प्रपंच
कवि रमेशराज
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
"मेरे हमसफर"
Ekta chitrangini
घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
घड़ी घड़ी में घड़ी न देखें, करें कर्म से अपने प्यार।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
💐प्रेम कौतुक-519💐
💐प्रेम कौतुक-519💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हौसला
हौसला
डॉ. शिव लहरी
स्वतंत्र नारी
स्वतंत्र नारी
Manju Singh
बड़े ही फक्र से बनाया है
बड़े ही फक्र से बनाया है
VINOD CHAUHAN
पीर पराई
पीर पराई
Satish Srijan
Loading...