” वट वृक्ष सा स्पैक्ट्रम “
” वट वृक्ष सा स्पैक्ट्रम ”
वट वृक्ष सा खिला है स्पैक्ट्रम
कोई डाल तो कोई फूल हैं हम
महता है सबकी एक समान ही
जड़ खिले तो खिलखिलाएं हम,
बुजुर्गों की जड़ रूपी फ़ैलावट ने
ऊपर असंख्य डालियां पनपाई हैं
डालियों पर नन्हें नन्हें अनेकों फूल
तभी तो फलों की लदावट गहराई है,
आवागमन तो चक्र है प्रकृति का
वट तरु भी शुष्क पतझड़ झेलता है
अवरोध से लेकिन रुकता तो नहीं
बसंत में नव कोपलों संग खिलता है,
नव वर्ष का नव आगमन है आया
वट वृक्ष भी देखो क्या खूब लहराया
मिल जुलकर करेंगे हम सब मेहनत
बीती ताहि बिसार मधुर फल चखना,
मतभेद सारे दबे बीते वर्ष की रज में
नव उमंग से युवा डालियों को सींचना
नौजवान सब लेंगे बुजुर्गों से मार्गदर्शन
स्वपन सबका स्पैक्ट्रम को गति देना।
डाॅ मीनू पूनिया
नव वर्ष 2023 की मंगलमय शुभकामनाएं।