वट्स अप की महिमा
वट्स अप की ज़िंदगी चलती रही
वह दिन भर भी कहाँ मौन हुआ
टूट गया नभ से तारा
और पल भर में ही कौन हुआ।
यह कैसा विश्व जगत प्यारे
यह कैसा छद्म दिलासा है
कितने हैं मुझको लाइक्स मिले
हर मानव इसका प्यासा है।
मन सूखा भावशून्य सा है
इमोजी भाव दिखाते हैं
वर्चुअल जग में सब परिचित हैं
रियलिटी में खो जाते हैं।
यह आत्म मुग्धता अपने से
एक विलक्षण बीमारी है
सुख हो या दुख की प्रतिच्छाया
वट्स अप सब पर ही भारी है।
विपिन