वजूद
माॅ ने कहा था तेरे होने पर एक वजूद देखा है
फिर मैने क्यू हर बार इन ऑखो से तुझे देखा है,
मैरी उम्र अब बेसहारे की है
फिर भी कंधे पर हाथ रख दे,ऐसा पिता देखा है।
बेहतर रिश्ता निभा दे ऐसे अनजानो को देखा है
मेरे घमण्ड को तोड दे ऐसे विश्वास को देखा है,
जहर अमृत हो जाये,अमृत को मैने जहर बनते देखा है
जिवन की क्रिया मे,मैने ऐसे लोगो को देखा है।
उम्र अभी ताजी रही तब मिला जवाब
जवाब मे मैने अपना दोस्त देखा है
माँ ने देखा था एक वजूद,मैने उसका सबूत देखा है
सुना मैने बहुत-ओ-से कट गयी जिंदगी
गुजर गये लोग ईश्वर किसने देखा है
मैरी पहली पहल की ये कविता
दोहरा दो इस कविता को,तो ईश्वर मैने तेरा वजूद देखा है।।
।।।।।।।।।शक्ति।।।।।।।।।