मृगनयनी सी आंखों में मेरी सूरत बसा लेना,
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
बाण माताजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
नूर ए मुजस्सम सा चेहरा है।
शुभ संकेत जग ज़हान भारती🙏
जी हां मजदूर हूं
Anamika Tiwari 'annpurna '
तुम्हीं से मेरी जिंदगानी रहेगी।
"इक दनदनाती है ,रेल ,जो रोज है चलती ,
दुःख इस बात का नहीं के तुमने बुलाया नहीं........
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
रक्त दान के लाभ पर दोहे.
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
रोशनी का रखना ध्यान विशेष
*बदकिस्मत थे, जेल हो गई 【हिंदी गजल/गीतिका】*