वजह तुम हो
करता हूं गुस्ताखी मैं कभी-कभी उसकी वजह तुम हो
रहता हूं तन्हाई में कभी कभी मैं उसकी वजह तुम हो
कुछ बातें हमारी भी सुनो जरा कुछ बात तुम कहना
रहते हैं कहीं गुम फोन में अगर उसकी वजह तुम हो
अब आप जिस तरफ चाहें बिखर जाए हम क्योंकि
हुई पहचान मुझे अच्छे लोगों की उसकी वजह तुम हो
मुझे लगा की याद होगा तुम्हें मगर तुम एक मुसाफिर
मैं गुम हुआ तुम्हारे दिल में कहीं उसकी वजह तुम हो
क्या कहा था तुमने हंस के “शिवा” कभी समझा ही नहीं
गुम सा हो गया हूं फिजाओं में अब उसकी वजह तुम हो
©अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”
शहडोल मध्यप्रदेश