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16 Jul 2020 · 1 min read

वगे मट्ठी मट्ठी पूर्वे दी हवा

***** वगे मट्ठी मट्ठी पूर्वे दी हवा *******
********************************

वगे मट्ठी पट्ठी पूर्वे दी हवा वे सोहणया
दिल दर्दां दी दस तां की है दवा वे सोहणया

निकी निकी कणियाँ दा है मींह पये बरसैंदा
बलदी रवै अग्ग तन मन थां थां वे सोहणया

माही तां परदेशां विच दिल ला के है वसया
डसण पौह दियां लंबियां रातां वे सोहणया

जिंद निमाणी दा दुख दर्द कोई वी न समझे
तड़फदी रूह दा कर जा हिला वे सोहणया

दिन लंघ जावे पर काली रात है तड़फावे
तपदे कालजे दे विच ठंड पा वे सोहणया

सखियां सौण महीने कट्ठियां पींगा पौंदियाँ
आ के प्यार दी तू झूल झूला वे सोहणया

सुखविंद्र तूं ही है मेरे दिल दा दिलजानी
छैती छैती मुड़ वतनां नूं आ वे सोहणया
********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
1 Like · 212 Views
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