वक्त
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वक्त
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वक्त यूँ ही बीतता ज्यों जा रहा यह साल है ,
कुछ लगा ये दुख भरा तो कुछ लगा खुशहाल है,
देखते ही देखते इतने बड़े हम हो गये ,
पर समझ पाये नहीं हम वक्त की क्या चाल है ।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
🧚♂️🧚♂️🧚♂️
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वक्त
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वक्त यूँ ही बीतता ज्यों जा रहा यह साल है ,
कुछ लगा ये दुख भरा तो कुछ लगा खुशहाल है,
देखते ही देखते इतने बड़े हम हो गये ,
पर समझ पाये नहीं हम वक्त की क्या चाल है ।
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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