वक्त
हमसे अधिक परिपूर्ण
इस धरती पर
कोई चीज़ नहीं है।
यहां कुछ अधूरा है
तो वो है “वक्त”
वक्त अपने अधूरेपन को
पूर्ण करने के लिए
छीनता रहता है हमसे
बहुत कुछ।
हमसे अधिक परिपूर्ण
इस धरती पर
कोई चीज़ नहीं है।
यहां कुछ अधूरा है
तो वो है “वक्त”
वक्त अपने अधूरेपन को
पूर्ण करने के लिए
छीनता रहता है हमसे
बहुत कुछ।