वक्त हो अपनों के लिए
जीवन की आपाधापी
मे कब वक्त मिला।
कुछ देर कभी
बैठ कभी।
यह सोच सकूँ
जो किया, कहा,माना
उनमे भला-बुरा क्या।
चतुर लोग अपना
सारा समय लगा देते
दुनियावी तामझाम मे।
है कभी नही ये सोचते
घर पर है बूढी अम्मा
बात जोहे है बैठी ।
हँसना खेलना चाहते
आपके साथ बच्चे।
नही देखते इस मिजाज में
अपने नखरे दिखा सके।
सफलता की सबसे
ऊँची छोटी पर हम
पहुँच तो गए दोस्तों।
खुशी किससे बाटे
अपने तो सब छूट गए।।