वक्त रहते सम्हल जाओ ।
चलो अब खड़ा हो लो अपने कदमों पर,
पापा के सहारे तो सब खड़ा होते हैं।
कब तक लोगे उनका सहारा ,
वो भी अब सहारा चाहते है ।
इस कदर सहारा बनो उनका की,
बुढ़ापे में झुकने की नौबत ना आए ।
खड़ा हो लो अपने कदमों पर ,
इस कदर की दूसरे के ओर मुरने की नौबत ना आए ।
बन ना सके तुम तलवार तो ,
एक मजबूत ढाल बनना ।
बढ़ा सके ना अगर साम्राज्य तुम तो,
बचा के रखना अपना राज्य तुम।
चलो खड़ा हो लो अपने कदमों पर ,
पापा के सहारे तो सब खड़ा होते हैं ।
जला लो चिंगारी अपने संकल्पों में,
अंधेरे को उज्ज्वल बना लो तुम।
By:-निशांत प्रखर
पोखड़ा,खगड़िया