वक्त बदल रहा है
वक्त सचमुच बदल रहा है
खोंटा सिक्का ही चल रहा है।
सिधा-सादा सच्चा औ अच्छा
आजकल सबको खल रहा है।
बद्तमीज़ बच्चे,बेबस बुजुर्ग
समय दोनो को छ्ल रहा है ।
मतलबपरस्ती से हुस्नोईश्क़
रोज़ नये सांचे में ढल रहा है।
देख लिया अजय इस दौर में
इंसानियत घुटनों के बल रहा है।
-अजय प्रसाद