दोस्ती
दोस्ती तो ऐसा व्योम है…
जिसमें प्यार का चंद्र चाँदनी फैलाता हैं
और संग संग यादो को सहेजने के लिए
रिश्तों की गर्माहट समेटने को सूर्य जगमगाता है
खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं
दोस्ती तो ऐसा अहसास है..
एक सलोना व सुहाना सा अहसास है
जो संसार के हर रिश्ते से अलग व प्यारा हैं
आज के मौजूदा रिश्तों के जंजाल में
यह मीठा सा रिश्ता एक प्यारा सा अहसास है
दोस्ती तो ऐसी अनुभूति है…
जिसकी व्याख्या होना कठिन है
दोस्ती, शुद्ध और पवित्र मन की आस हैं
मिलन का विश्वास की एक अनुभूति है
एक बेहद उत्कृष्ट व आत्मिक सुखद अनुभूति
दोस्ती तो एक तटबंध हैं…
जिसे पाते ही तनाव और चिंता के मानो
चहूं और से तटबंध टूट जाते हैं
स्नेह का मानो सैलाब सा बह चलता है
सभी भावनाओं के मानो तटबंध टूट जाते हैं
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद