वक्त के साथ बदल रहा हूं
वक्त के साथ बदल रहा हूं
कभी दीपक सा था
आज मन ही मन अंधेरों में ढल रहा हूं
मेरी दिशा किस और होगी
मंजिल मिलेगी या रास्तों पे मोड़ होगी
हूं मैं उम्मीद किसी का यकीन हूं
कभी कभी ऐसा लगता नही कर पाऊंगा
जीवन में कुछ बड़ा ऐसा बंजर जमीन हूं
मेहनत की भट्टी में, कुछ पाने की उम्मीद में,
खुद को तल रहा हूं
हां दोस्त वक्त के साथ मैं भी बदल रहा हूं