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14 May 2023 · 1 min read

वक्त के साथ बदल रहा हूं

वक्त के साथ बदल रहा हूं
कभी दीपक सा था
आज मन ही मन अंधेरों में ढल रहा हूं
मेरी दिशा किस और होगी
मंजिल मिलेगी या रास्तों पे मोड़ होगी
हूं मैं उम्मीद किसी का यकीन हूं
कभी कभी ऐसा लगता नही कर पाऊंगा
जीवन में कुछ बड़ा ऐसा बंजर जमीन हूं
मेहनत की भट्टी में, कुछ पाने की उम्मीद में,
खुद को तल रहा हूं
हां दोस्त वक्त के साथ मैं भी बदल रहा हूं

1 Like · 202 Views
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