वक्त के प्रवाह में
आधार छंद- चामर (२१ २१ २१ २१ २१ २१ २१ २)
* गीतिका *
~~
काम काज के समय सजग सभी रहें सदा।
वक्त के प्रवाह में बिना रुके बहें सदा।
बात स्पष्ट शब्द में रखें जरा विचार कर।
हो विषय सभी हितार्थ इस तरह कहें सदा।
सामने समय कभी भला बुरा न देखिए।
हो बुलंद स्वर अथाह मुश्किलें सहें सदा।
स्नेह भावना प्रगाढ़ खूब हो सभी जगह।
और स्तंभ भेदभाव के स्वयं ढहें सदा।
मत करो दफन कभी रहस्य छानते रहें।
खोलते रहो किसी के राज की तहें सदा।
******************************
– सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी, हिमाचल प्रदेश