वक्त के झोंकें
ग़ज़ल, वक्त के झोंकें,
काटी मैंने दिन और रातें गूजरी हुई शाम से,
आई मुझे जब तेरी याद निकली तूं आरा़म से,
लिखता रहा मैं भी ख़त बस तेरे ही नाम से,
जब भी बातें चलीं यहां पर लोग तेरा नाम लें,
तैरा ख्याल मैं भी आऊं और कैसे न ध्यान दूं,
मैरे दिल में तूं ही बसी हैं कैसे मैं पहचान दूं,
तैरें नाम मैं बदनाम हूं अब तो तूं पहचान लें,
रिश्ता हमारा यहीं रहेगा चाहें कुछ लोग जान लें,
अब आजा तूं भी कह दें मैरा तूं भी नाम लें,
तेरा मेरा प्यार रहेगा कस़म खालें अभिमान से,
दुनिया ऐ मतलब भरी हैं इसकों तूं पहचान लें,
बड़े हुऐ हैं गूज़रा वक्त हैं याद आये सम्मान दें,
काटी मैंने दिन और रातें गूजरी हुई शाम से,
आई मुझे जब तेरी याद निकली तूं आरा़म से,।
Writer–Jayvind Singh Ngariya Ji