* वक्त की समुद्र *
* वक्त की समुद्र *
वक्त की समुद्र से,
कुछ पल मेरे लिए हो ।
बस कुछ पल की ही तो जरूरत है,
सारी तकदीर सुनाने को ।
मंजील की सपना में तो नहीं ,
दो पल जरुरी है,
दो पल मुस्कराने को ।
छीन गई सारी चैन,
दिन्दगी की अभिलाषा में ।
कहाँ गए वो देन – लेन ,
इस जमाने की अभिलाषा में ।