वक्त की रेत पर
वक्त की रेत पर चल सको तो चलो
चिह्न कदमों के अपने बनाते चलो
कर रही हैं खिलाफत हवाएं अगर
उन हवाओं का रुख भी बदलते चलो
वक्त की रेत पर चल सको तो चलो।
चिह्न कदमों के अपने बनाते चलो।।
जो बुझी है शमां फिर से जल जाएगी
कश्ती तूफानों में भी निकल जाएगी
तुम चलो तो सही कर्म पथ पर जरा
फूटी किस्मत तुम्हारी संवर जाएगी।
फूल बंजर में भी तुम खिलाते चलो
चिह्न कदमों के अपने बनाते चलो
वक्त की रेत पर चल सको तो चलो….
एक तमन्ना दिल में बसा लीजिए
अपनी आंखों से पर्दा हटा लीजिए
शौक पूरे हमारे जो करते सदा
ऐसे मां बाप से ना दगा कीजिए
उनके सपनों को दिल में बसाते चलो
चिह्न कदमों के अपने बनाते चलो
वक्त की रेत पर चल सको तो चलो
~ करन केसरा ~