वक्त की मार
क्यों सहमी सी है जिन्दगी
नहीं हो पा रही किसी से दिल लगी
वक्त ने कुछ ऐसा खेल खेला है
यहां लोगो का रेला है
लेकिन बात जब अपना कहने को आती हैं
तो हर तरफ खुद को मैने पाया अकेला है
लोग कहते हैं वक्त गुजर जाएगा
मैं समझ नहीं पाती मेरा वक्त कब आएगा
छोटी सी है जिन्दगी लेकिन दर्द हजारों दे जाती हैं
नहीं हैं कोई अपना फिर अपनो की याद क्यों आती हैं
मुक्कमबल नहींकर सके जिंदगी को क्योंकि वक्त ने फंसाया है
इस वक्त की मार ने सबको एक न एक दिन जरूर नचाया हैं