वक्त का लिहाज़
वक्त साथ देता नहीं किसी का
वक्त के साथ चलना पड़ता है
भाग्य किसी का बदलता नहीं
अपनी मेहनत से बदलना पड़ता है
वक्त तो सभी का होता है
वो किसी से पक्षपात करता नहीं
करता है जो इसका सदुपयोग
वो कभी पश्चाताप करता नहीं
कद्र करो वक्त की आज तुम
कल ज़माना तेरी कद्र करेगा
जो नहीं समझा इतनी सी बात
तुझे कल वक्त मुश्किल लगेगा
नहीं चाहता, वक्त को कोसो तुम
इसीलिए कह रहा, तुमसे आज
अपने बेहतर कल के लिए तुम्हें
चलना चाहिए वक्त के साथ आज
बढ़ना चाहता है जो भी आगे
वक्त किसी को रोकता नहीं
चलता है जो वक्त के साथ
फिर कोई उसे टोकता नहीं
गर वक्त लेता है इम्तिहान कभी
तू फिर किस्मत पर नहीं रोना
निखरकर अंगारों की भट्टी में ही
तो, निकलता है खरा सोना
हो असफल गर, अपने कर्मों के
परिणाम को, किस्मत पर न डाल तू
मिली नहीं भी सफलता तुम्हें अगर
अपनी कमियों को कर स्वीकार तू
मुश्किल नहीं है वक्त को मनाना
भूलकर सब, फिर हो जा तैयार तू
करेगा जब मेहनत दिल लगाकर
फिर, शिखर पर पहुंच जाएगा तू।