अहंकारी मनुष्य
स्वयं को सबसे उत्कृष्ट मानता ,
दरिद्रों को निमान दिखाने वाला ,
स्वयं का अभिनंदन करने वाला ,
जाति – धर्म का भेदभाव करता ,
वह अहंकारी मनुष्य होता है।
अहंकारी मनुज अज्ञान जाता
वह भी ईश्वर का अनुचर है
ईश्वर के प्रकोप से ना त्रासता
अपनी दुराचारी पर उदीचीता
वह अहंकारी मनुष्य होता है।
कुकर्म का कुंभ उड़ेलता वह ,
अपना विगत लम्हा खोता वह ,
शरीरांत के आमद से सर्वपूर्व ,
यमराज को आह्वान देता वह ,
वह अहंकारी मनुष्य होता है।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या