वक्त का तराजू
*** वक्त का तराजू ***
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समय बहुत अनमोल हैं,
कोई न वक्त का मोल है।
काल-चक्र रुकता नहीं,
बजाता न कभी ढोल है।
वक्त का तराजू न झुके,
झुकता इन्सान रोज़ है।
राजा से है कब रंक बने,
जीवन में अहम रोल है।
समझ से है बहुत परे,
वक्त का पहिया गोल है।
मनसीरत हाथ न आये,
बिगाड़े पल में भूगोल है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)