वक्त का काफिला
वक्त का काफिला आता है।
ग़म और खुशियां लाता है।
जैसा भी हो मौसम जीवन का
वक्त कहां ठहर पाता है।
आराम की लज्जत मिली नहीं
हर पल भागता जाता है
पीछे छूटे का ग़म क्या करना
कौन भाग्य से ज्यादा पाता है।
कद्र वक्त की वक्त रहते जरूरी है
तभी इंसान इज्जत पाता है।
सुरिंदर कौर