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20 Sep 2020 · 1 min read

वक़्त

वक्त साथ है
अभिव्यक्त नहीं होता कभी
योंही तुम साथ रहो
पूर्ववत
लगता है तुम हो
तुम ही हो
पर साथ क्यों नहीं होते
तुम
कभी कभी
साथ थे
पहले पहल
यकीनन्
वो माझी व्यर्थ नहीं
जो कभी संग था मेरे
आज भी है वक्त
अकिंचित डगर पर तुम कभी
आओ तो सही
एक बार तुम
किंतु तुम
केवल तुम
जब साथ में भी तुम्हारें
तुम ही हो
मनोज शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 489 Views
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