वक़्त भी बैचेन है…!
वक़्त भी बैचेन है…!
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वक़्त भी बैचेन है…!
सामने जो बिलखता यूक्रेन है।
चैन से सोता रहा अभी तक,
अब दहकता क्यों नैन है ।
रंगमंच जब सत्ता में आकर ,
जोकर को ताज पहनाएगा ।
देश कोई दर्शकदीर्घा नहीं ,
जो हर वक्त ही ताली बजाएगा।
याद करो कुछ बीती बातें ,
दूध के दांत तेरे, नहीं टूटे थे ।
अटल पोखरण परीक्षण पर तूने ,
नाक-भौं बहुत सिकोड़े थे ।
ऐशोआराम से हटकर कभी ,
सोचा ही नहीं जन सुरक्षा को।
देश सिर्फ झुकता है वही ।
सपनों में ख्वाब बुनता है जो।
महाशक्ति बनने को भारत ,
यूएनओ में विरोध जताया था।
कश्मीर भारत का दिल है ,
इसपर भी तूने चिल्लाया था।
रूस देता हमें रक्षा कवच ,
उससे अब हम, क्यों दगा करे।
चुना है तूने, जोकर को तो ,
वो ही अब, तेरा भला करे ।
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०१ /०३ / २०२२
फाल्गुन ,कृष्णपक्ष ,चतुर्दशी ,मंगलवार ।
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201