!!!वक़्त पड़े जो काम आ जाए!!!अपनापन मिल जाता है!!!
**** अपनापन मिल जाता है****
कहने को तो दुनियां सारी,बार बार यह कहती है।
मैं हूं तुम्हारी तुम हो मेरे, बाते कोरी रहती है।
वक्त पड़े जो काम आ जाए,अपनापन मिल जाता है।
थोथी भावनावो की नदियां,कई दिलो में बहती है।।
दर्द पीड़ाएं जब घेरे किसी को,साथ न उसके खड़े हुए।
देख के उसकी खुशहाली को ,भीड़ घेरे उसे रहती है।।
दिखावा करने में आखिर यार मज़ा क्यों आता है ।
वक़्त पड़े जो काम आ जाए, अपनापन मिल जाता है।।
चरित्र त्याग दे दोहरेपन का,इसमें अपना क्या जाता है।
झूटी शान यह कैसी पहचान,मानव अपनी बनाता है।
समझ पाया न अनुनय अब तक,आखिर क्या मिल पाता है।
वक्त पड़े जो काम आ जाएं,अपनापन मिल जाता है।।
राजेश व्यास अनुनय