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8 Jan 2022 · 1 min read

वक़्त तेजी से चला

वक़्त तेजी से चला, हम सोचते ही रह गए
आए थे जिस मकसद से हम, वे तो सारे खो गए
सपने देखे थे सुनहरे, वह वीराने हो गए
जिंदगी की जद्दोजहद में, आंख कुछ ऐंसी लगी
चलती रहीं हवाएं जैंसी, हम उधर ही बह गए
सोचा था कुछ फूल तेरी, राहों में बिखराऊंगा
स्वप्न अपनी जिंदगी में, साकार कुछ कर पाऊंगा
वक़्त तेजी से चला, हम सोचते ही रह गए
आए थे जिस मकसद से हम, सब अधूरे रह गए

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

ंं

8 Likes · 8 Comments · 226 Views
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