वक़्त को वक़्त
मौत का ग़म न कुछ किया जाये।
ज़िन्दगी का मज़ा लिया जाये।
तू मुझे सोच मैं तुझे सोचूं,
और सर दर्द क्यों लिया जाये।
जिसको दिल में बसाये बैठे हैं,
कैसे उसको जुदा किया जाये।
कुछ नतीजा अगर नहीं निकले,
वक़्त को वक़्त दे दिया जाये।
ज़िन्दगी में तो ग़म ही ग़म हैं मगर,
मुस्कुरा कर सदा जिया जाये।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद