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9 Jan 2017 · 1 min read

वकत् नही

हर खुशी है लोगो के दामन में
पर एक हसी के लिये वकत् नही ….

दिन रात दौडती दुनिया में ,
ज़िन्दगी के लिये ही वकत् नही …

सारे रिश्ते तो हम मार ही चुके,
अब उनको दफनाने का भी वकत् नही ..

नाम सारे है ड्यरी मे ,
पर अब दोस्ती के लिये वकत् नही …

आँसू से हैं आँखो में ,
पर रोने के लिये वकत् नही …

दौड पड़े है बेशुध होकर ,
अब पीछे मुडने का वकत् नही …

कौन अपना कौन पराया ,
अब सोचने के लिये वकत् नही ..

हॅस रहा है या रो रहा है तू ,
अब यह देखने का भी वकत् नही …

दौडने लगा हूँ पैसो के पीछे,
अब अपनी खुसी के लिये वकत् नही …

पराये एहसानो की कद्र क्या करे ,
जब अपने लिये ही वकत् नही …

इक तू ही बता ज़िन्दगी ,
क्यूँ हर पल मरने वाले को,

ज़िन्दगी को जीने का ही
वकत् नही ….|||वकत् नही|||
mohit

Language: Hindi
659 Views
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