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21 Feb 2023 · 1 min read

वंदना

वीणा-वादिनि! पथ-प्रकाशिनी, उन्नति का वर दे।
हो सशक्त लेखनी सदा ही, ज्ञान सघन भर दे।।

रोली घोल भावनाओं की,धवल माथ सज दूॅं।
निज मस्तक को, चंदन-सम तव चरणों की रज दूॅं।।
गूंजें वंशी सदृश भाव, मन वृंदावन कर दे।

सत्यं, शिवम्, सुंदरम चिंतन, वंदन, मनन करूॅं।
पर उपकारी कर्म रहें निज, प्रेरक सृजन करूॅं।।
वाणी में हो ओज, भावमय झंकृत-सा स्वर दे।।

मात्र शुभंकर, स्वस्ति कल्पनाऍं मन में उपजें।
भाव अनूठे,मोहक, प्रेरक, छंदों में निखरें।
देवि! कृपामय हस्त शीश पर तू मेरे धर दे।

रश्मि लहर

Language: Hindi
2 Likes · 360 Views

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