लड़ाई अना की बिना बात की
लड़ाई अना की बिना बात की
क़दर क्या किसी को है जज़्बात की
पता भी चलेगा ये आख़ीर में
कहानी है ये जीत या मात की
इसी ने मुझे फिर से जकड़ा हुआ
है जंजीर कोई ख़यालात की
शबे-वस्ल थी और ख़ामोश थे
निगाहों में बिजली सवालात की
उसी रात इक़रार तुमने किया
मेरी कुल गवाही उसी रात की
तुझे याद कुछ भी नहीं क्यूँ रहा
मुझे याद पहली मुलाक़ात की
मिला प्यार में रंजोग़म दर्द जो
लिये गठरियाँ हूँ मैं सोग़ात की
तेरे आँसुओं की नदी देखकर
मुझे याद आई भी बरसात की
न ‘आनन्द’ बच्चा अभी तू रहा
सज़ा तो मिलेगी ख़ुराफ़ात की
– डॉ आनन्द किशोर