लौह पुरुष
अराजकता विघटनों पर लगाम कस,
शासन की नीतियाँ सुदृढ़ बनाता रहा |
धीर – गंभीर होकर विवेक के प्रभाव में,
शत्रु को पराजय का मार्ग दिखाता रहा |
निडर होकर विपरीत परिस्थितिओं में,
पाठ स्वाभिमान का सबको पढ़ाता रहा |
एक लौहपुरुष राष्ट्र की विभिन्नताओं को,
एकता के पावन सूत्र में सजाता रहा ||
✍अरविन्द त्रिवेदी
महम्मदाबाद
उन्नाव उ० प्र०