Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Aug 2021 · 1 min read

लौरिया

नींद आने लगी है उसे,
बिन लौरिया सुने हुए
आदत मेरी बदलती नहीं,
गुनगुनाने की ….

Language: Hindi
Tag: शेर
1 Like · 1 Comment · 187 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahender Singh
View all
You may also like:
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
अक्स आंखों में तेरी है प्यार है जज्बात में। हर तरफ है जिक्र में तू,हर ज़ुबां की बात में।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
समस्या है यह आएगी_
समस्या है यह आएगी_
Rajesh vyas
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh
"क्या देश आजाद है?"
Ekta chitrangini
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
सावन में घिर घिर घटाएं,
सावन में घिर घिर घटाएं,
Seema gupta,Alwar
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
स्वदेशी कुंडल ( राय देवीप्रसाद 'पूर्ण' )
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नज़्म
नज़्म
Shiva Awasthi
"शेष पृष्ठा
Paramita Sarangi
* तुगलकी फरमान*
* तुगलकी फरमान*
Dushyant Kumar
मेरा गुरूर है पिता
मेरा गुरूर है पिता
VINOD CHAUHAN
तुम्हारी यादें
तुम्हारी यादें
अजहर अली (An Explorer of Life)
छुपा रखा है।
छुपा रखा है।
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मैं स्वयं को भूल गया हूं
मैं स्वयं को भूल गया हूं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
🙅समझ जाइए🙅
🙅समझ जाइए🙅
*Author प्रणय प्रभात*
"सुखी हुई पत्ती"
Pushpraj Anant
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
बुढ़ादेव तुम्हें नमो-नमो
बुढ़ादेव तुम्हें नमो-नमो
नेताम आर सी
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
"अग्निपथ के राही"
Dr. Kishan tandon kranti
साथ मेरे था
साथ मेरे था
Dr fauzia Naseem shad
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
इक्कीसवीं सदी की कविता में रस +रमेशराज
कवि रमेशराज
आहट
आहट
Er. Sanjay Shrivastava
परमेश्वर का प्यार
परमेश्वर का प्यार
ओंकार मिश्र
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
*मस्ती बसती है वहॉं, मन बालक का रूप (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Neelam Sharma
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
कुछ अजीब सा चल रहा है ये वक़्त का सफ़र,
Shivam Sharma
दूर क्षितिज के पार
दूर क्षितिज के पार
लक्ष्मी सिंह
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
सद्ज्ञानमय प्रकाश फैलाना हमारी शान है।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
3097.*पूर्णिका*
3097.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...