— लौट रही मुस्कान —
आ रही है सदा
आने वाली है दुआ
फिर से मिलने की रूत का
आने वाला है वो समां
खिलखिलाते हुए
मुस्कुराते हुए
जैसे आम पर बौर
चेहरे फिर मुस्कुराते हुए
भेजी है दुआ उस रब ने
फिर से अमन चैन होगा
मुरझाते हुए चेहरों पर
फिर से एक सकूंन होगा
बहुत मायूस कर गया
बिता हुआ हर लम्हा
आ रहा है लौट के खुशियों
भरा फिर से वो समां
अजीत कुमार तलवार
मेरठ