लौट पहलू में अब तुम सनम आइए।
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लौट पहलू में अब तुम सनम आइए।
हमको इतना न अब और तड़फाइए।।(१)
वक्त कटता नहीं है तुम्हारे बिना,
अब चले आइए अब चले आइए।(२)
हुश्न माना कि पर्दानशीं है मगर,
रुख से पर्दा जरा अब तो सरकाइए।(३)
प्यास बढती ही जाती है ओंठों की अब,
जुल्फ बादलनुमा कोई बरसाइए।(४)
तल्ख बातें बहुत कीं हैं अब तक सनम,
गीत कोई लबों पे तो अब लाइए।(५)
कर रहा है गुजारिश अटल आज अब
लौट पहलू में अब तुम सनम आइए।।(६)