लौट के आजा मेरे दादू….
कैसे भूल जाऊ मैं तुझे…
तू बचपन का सहारा था
जब जब अकेला पड़ा हूं मै
तब तब साथ निभाता था…
अब तू मुझसे दूर गया..
सारे सपने छोड़ गया
जब जब याद तेरी आएगी
तस्वीर सहारा बन जाएगी
फिर भी दिल का कोना ही
दुख से तो भर जाएगा
आ जा न तु लौट के
लगा ले मूजको सीने से
वो वादे तू कैसे भूल गया
न जाने क्यूं तू रूठ गया
लौट के आजा मेरे दादू
तू मुझको कैसे भूल गया।