लौटती जिंदगी
समय जब करवट लेता है तो खुदा भी बदल जाता है,
जिंदगी के इस सफर में कोई नया मोड़ आ जाता है,
कभी पैसों की खातिर अपनों से दूरी बना ली थी
हमने,
आज अपनों के लिए पैसा कमाना छोड़ दिया है,
कभी खुद की आजादी के लिए बेजुबान को कैद
किया हमने,
प्रकृति ने उनको आजाद कर हमको कैद कर दिया है,
मां समान नदियों को मैला किया कभी हमने,
आज हमने ही कैद हो कर उनको फिर निर्मल किया
कभी खुदा की इबादत करते थकते नहीं थे हम,
आज उसी इबादत ने हमको खुदा से दूर किया है,
गुरूर के आगोश में इंसानियत भुला दी थी जो हमने,
उसी गुरूर को बचाने के लिए इंसानियत को अपना
लिया है,
नीच समझ अपनी संस्कृति को कभी ठुकरा दिया था
हमने,
आज उसी सनातनी संस्कृति को फिर अपना बनाया
जा रहा है,
ताउम्र देश छोड़ विदेश में बसने की सोच पाली हमने,
आज वो ही देश जान से अजीज हमें लग रहा है,
सफेद कोट और खाकी को बेइज्जत करते थकते
नहीं थे हम कभी,
आज उन्हीं में हमें खुदा नजर आ रहा है,
शर्म आती थी जिस प्रकृति को पूजने में हमें कभी,
आज उसी प्रकृति की सर्गोशी में इंसा रहम की
इबादत कर रहा है।