सरकार बिक गई
लो सत्ता बिक गई अब सवाल बिक गए,
अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक गए ।
बिक रहा है देश का पुर्जा पुर्जा जोरों से,
कल शिक्षा बिक गई अब अस्पताल बिक गए ।
….अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक रहे ।
खुद ही खुद को बेचने के खयाल बिक गए,
दल बदल के नेता जी,हरहाल बिक गए ।
घात लगा कर बैठे थे जो मौके की आस में,
वो कल न बिक सके तो फिलहाल बिक गए ।
….अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक गए ।
रोज गिर रहा है रुपया,टकसाल बिक गए,
फकीरों की झोली से कीमती माल बिक गए ।
मचा रखी है चोरी खूब मजहब के नाम पर,
कुर्सी की लालच में नए नए दलाल बिक गए ।
….अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक रहे ।
बेरोजगार माई के शिक्षित लाल बिक गए,
लिए ख़ाब नौकरी के फटे हाल बिक गए।
रह गया क्या बाकी अब और बिकने का,
इन दिनों दिन दहाड़े परीक्षा हॉल बिक गए।
….अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक रहे ।
बुजुर्गों के कमाए,पचहत्तर साल बिक गए,
उम्मीदों के आशियाने बहरहाल बिक गए।
जो आए थे सरकार बड़े ही शरीफ बन कर,
सब देखते ही देखते नमकहलाल बिक गए।
….अच्छे दिनों के बेगजब कमाल बिक रहे ।