लोहड़ी पर्व
———लोहड़ी पर्व——–
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लोहड़ी का पर्व मुबारक हो
खुशियों भरा पर्व मुबारक हो
पोष मास के अंतिम दिन आए
मकर संक्रांति से पहले आए
तीन शब्दों से मिलकर बना है
लो, ओह ,ड़ी -लोहड़ी बना है
लो शब्द लकड़ी का प्रतीक है
ड़ी शब्द रेवड़ी प्रतीक है
ओह शब्द से उपले बन जाएं
संध्या होने पर आग जलाएं
वृंद में आग पास बैठ जाएं
मूंगफली रेवड़ियाँ चबाएं
घर अगर लड़का है जन जाए
खुशी खुशी पर्व लोहड़ी मनाए
दल में बच्चे एकत्रित हो जाएं
घर घर लोहड़ी मांग कर आएं
लोहड़ी पर हैं गीत सुनाएं
छोटे -बड़े सब खुश हो जाएं
प्रजापति दक्ष की सती बेटी
जलती आग में दहन हुई बेटी
सती योगाग्नि दहन दिन आए
याद में लोहड़ी पर्व हैं मनाएं
दुल्हा भट्टी था राजपूति वंशी
मुक्त करवाई लड़कियां बंदी
वीरता उसकी याद है करते
सुखविंद्र की यही अभिलाषा
लोहड़ी पर्व लाए नयी आशा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)