*लोग सारी जिंदगी, बीमारियॉं ढोते रहे (हिंदी गजल)*
लोग सारी जिंदगी, बीमारियॉं ढोते रहे (हिंदी गजल)
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1)
लोग सारी जिंदगी, बीमारियॉं ढोते रहे
सज-सॅंवरकर हॅंस दिए, फिर बाद में रोते रहे
2)
दो दिवस खुशियॉं मिलीं, फिर चार दिन रुदन रहा
जिंदगी भर साथ सबके, हादसे होते रहे
3)
दौड़ते-फिरते रहे, धन रूप पद की चाह में
लक्ष्य को पाते रहे, उपलब्धियॉं खोते रहे
4)
फूल के नाजुक बदन का, संग यों तो कुछ नहीं
पुष्प-माला किंतु धागा, सूई ही पोते रहे
5)
स्वर्ग-नर्क किसे पता, किसको मिलेगा या नहीं
बीज लेकिन पुण्य के, सज्जन पुरुष बोते रहे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451